Thursday, July 31, 2008

श्रीअमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति

राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड को दी गई जमीन वापिस लेने का एक तरफा फैसला करने और मुख्यमंत्री गुलाम नवी आजाद द्वारा इस फैसले को तुरंत स्वीकार करने के विरोध में जम्मू संभाग क्षेत्र के सभी हिन्दू संगठनों ने श्री बाबा अमरनाथ संघर्ष समिति के झण्डे तले इस संघर्ष को तेज करने का फैसला किया है। आज गीता भवन में हुई संघर्ष समिति की एक आपालकालीन बैठक में चार प्रस्ताव पारित किये गये।

प्रस्ताव -१

राज्यपाल को वापिस बुलाया जाये

जम्मू-कश्मीर के नवनियुक्त राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने बिना किसी जांच पड़ताल के, बिना परिस्थितियों का जायजा लिये और बिना जम्मू-कश्मीर के सभी राजनैतिक दलों से सलाह-मशविरा किये बिना ही, आते ही आनन-फानन में एक तरफा तानाशाही फैसला करते हुये श्रीअमरनाथ श्राईन बोर्ड को मिली जमीन वापिस लेने के लिए प्रदेश की सरकार को पत्र (हुकुम) लिख दिया। उधर प्रदेश के मुख्यमंत्री गुलाम नवी आजाद ने भी तुरंत इस फैसले को आंख मूंद कर स्वीकार कर लिया और जमीन वापिसी का ऐलान कर दिया। जाहिर है कि राज्यपाल महोदय और मुख्यमंत्री दोनों ने ही किसी खास साजिश के तहत यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के इशारे पर अलगाववादी संगठनों और भारत विरोधी दलों के आगे गुटने टेके हैं। सरकार के इस फैसले से देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं की आस्था पर कुठाराघात लगा है। हम भारत की सरकार और रा ट्रपति महोदय से निवेदन करते हैं कि इससे पहले कि हालात बेकाबू हो जायें, राज्यपाल वोहरा को वापिस बुला लिया जाये अन्यथा जम्मू क्षेत्र के लोग राज्यपाल को कांग्रेस के ऐजेंट के रूप में काम नहीं करने देंगे।


प्रस्ताव - २

प्रदेश सरकार को बर्खास्त किया जाये

जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर काबिज गठबंधन सरकार के सभी गटकों विशे ाता कांग्रेस और पीडीपी ने सर्वसम्मति से श्री अमर नाथ श्राईन बोर्ड को जमीन देने का फैसला किया और बाकायदा मंत्रीमंडल की मान्यता द्वारा सरकारी आदेश से जमीन सौंपी गई। परन्तु वोट की घटिया राजनीति ने कश्मीर केन्द्रित राजनैतिक दलों खासतौर पर पाकिस्तान परस्त अलवागवादी संगठनों को भारत और हिन्दू विरोध के मुद्दे पर एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। कश्मीर में भारत और हिन्दू विरोधी प्रदर्शन हुये, पाकिस्तान और इस्लाम के झण्डे फहराये गये और पीडीपी और नेशनल कांफे्रस अपने पहले के फैसलों से मुकर गये। सारे कश्मीर में भारत और हिन्दू-विरोधी आग लगा दी गई। जम्मू-कश्मीर की कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने देश द्रोहियों के आगे गुटने टेक दिये। लिहाजा यह संघर्ष समिति रा ट्रपति से निवेदन करती है कि दोगली नीति अखतियार करने वाले मुख्यमंत्री गुलाम नवी आजाद के नेतृत्व वाली सरकार को तुरंत बर्खास्त करके किसी रा ट्रवादी राज्यपाल के नेतृत्व में राज्यपाल शासन लागू किया जाये। घाटी में भारत विरोधी बयान देने वाले नेताओं अलीशाह गिलानी, मीरवायज उमर फारूख, मुजफ्फर बेग, मुफती मेहबूबा और उसके वालिद मुफती मोहम्मद सईद और उमर फारूख को गिरफ्तार करके उन पर देशद्रोही मुकद्दमें चला कर जेलों में ठोका जाये।

प्रस्ताव - ३

श्रीअमरनाथ श्राईन बोर्ड को जमीन वापिस दी जाये

देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं की आहत हुई भावनाओं और आस्था को पुन: बहाल करने के लिए श्राईन बोर्ड को जीमन वापिस दी जाये। अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था से संबंधित बोर्ड के सभी अधिकार लौटाये जायें। श्रीअमरनाथ यात्रा समस्त देशवासियों विशेषता हिन्दुओं का धार्मिक मामला है। उसमें किसी भी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप असंवैधानिक और नाकाबिले बर्दाश्त है। सरकारी दखलअंदाजी से अलगाववाद के और भी ज्यादा पनपने का रास्ता साफ होगा। परिणाम स्वरूप सारे देश का तथाकथित धर्म निरपेक्ष माहौल बिगड़ेगा। यह संघर्ष समिति राष्टृपति महोदय से अपील करती है कि वह इस संवेदनशील मामले की गहराई तक उतरते हुये श्राईन बार्ड को जमीन लौटाने का आदेश राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दें। अगर सरकार अमरनाथ श्राईन बोर्ड को जमीन नहीं लौटा सकती तो फिर बाबा गुलामशाह और पंपोर इस्लामिक विश्वविद्यालय, जम्मू-कश्मीर में बने हज हाउस और देश भर में मुस्लिकों संगठनों को उनकी धार्मिक गतिविधियों के लिए दी गई जमीन और हज सब्सीडी भी वापिस ली जाये।

प्रस्ताव -४

पूरे देश के हिन्दु संगठन एक मंच पर आयें

श्रीअमरनाथ यात्रा का संबंध केवल जम्मूवासियों और कश्मीरी पंडितों से ही नहीं है। १८ हजार फीट की उचाईं पर पवित्र अमरनाथ गुफा में पिछले ५ हजार व से चल रही पूजा, पिछले ३५० सालो से चल रही छड़ी मुबारक और पिछले १४८ वर्षों से चल रही अमरनाथ यात्रा पूरे देश और हिन्दू समाज की एकता और आस्था का प्रतीक है। यह संघर्ष समिति पूरे देश के सभी हिन्दू संगठनों, संत महात्माओं, जगद्गुरुओं, शकराचार्यों, मठाधीशों और अखाड़ों के महतों का आह्वान करती है कि वह सभी अपने मठ मंदिरों, अखाड़ों और झोंपड़ियों से बाहर निकल कर इस संघर्ष का नेतृत्व करें और भारत के कोने-कोने में इस हिन्दू और भारत विरोधी फैसले के विरोध में रा ट्र व्यापी आंदोलन छेड़ें अन्यथा पाकिस्तान परस्त तत्वों के हौंसले बुलंद होंगे और जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश में अलगाववादियों के मंसूबे पूरे होंगे। श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड पर की गई चोट ने देश की अखण्डता को चुनौती दी है। हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार करने वाले देश द्रोहियो के आगे पूंछ हिलाने वाली प्रदेश और केन्द्र की कांग्रेसी सरकारों को चेताने के लिए इस समय हिन्दू एकता की जरूरत हैं।


श्रीअमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति के सदस्य संगठन

१. हिन्दू जागरण समन्वय विभाग

२. विश्व हिन्दू परिषद

३. हिन्दू जागरण मंच

४. बजरंग दल

५. सनातन धर्म सभा

६. आर्य समाज

७. ब्राहम्मण प्रतिनिधि सभा

८. राजपूत क्षत्रिय सभा

९. अरोड़ वंश

१०. शिव सेना बाल ठाकरे

११. शिव सेना हिन्दोस्थान

१२. हिन्दू शिव सेना

१३. राष्ट्र सेविका समिति

१४. दुर्गावाहिणी

१५. कश्यप राजपूत विरादरी

१६. वाल्मीकि सभा

१७. संत रविदास सभा

१८. राष्ट्रीय सिख संगत

१९. जैन सभा

२०. बुद्ध समुदाय

२१. महाजन सभा

२२. अग्रभाल सभा

साभार लोकमंच
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