Wednesday, August 6, 2008

कांग्रेस मतलब फूट डालो राज करो
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इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि अंग्रेजों ने, फूट डालो, राज करों की नीति अपनाकर भारत को कब्जे में कर लिया और सदियों तक गुलाम बनाए रखा.
आज कांग्रेस पार्टी वही कर रही है. फूट डालो और राज करो.
कांग्रेस पार्टी कभी समग्रता या अखंडता की बात नहीं करती है. वह देश के विकास की बात तो करती है, मगर देश और उसके नागरिकों को टुकड़ों में बांटकर.
अगर आप नजर दौड़ाएंगे तो आपको सैंकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे, जिससे ये साफ हो जाएगा कि कांग्रेस पार्टी देश को टुकड़ों में बांटकर सत्ता का सुख भोगना चाहती है.
1. कांग्रेस ने मुसलमानों की हालत जानने के लिए सच्चर समिति का गठन किया. समिति की रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की उपस्थिति मात्र पांच प्रतिशत या उससे भी कम है. जबकि की आबादी के लिहाज से वे करीब पंद्रह प्रतिशत हैं. वे शैक्षणिक और आर्थिक रूप से बहुत पिछड़े हैं. इस रिपोर्ट के कुछ हिस्से को कक्षा की आठवी के एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में शामिल भी किया गया है. बड़े ही रोचक तरीके से, जैसे, बच्चों क्या तुम जानते हो कि हाशिया किसे कहते हैं. तुम्हारी पाठ्यपुस्तक की बायीं ओर जो जगह छोड़ी गई है. उसे हाशिया कहते हैं. ऐसा हमारे समाज में भी होता है. समाज के कुछ लोगों को हाशिए पर धकेल दिया जाता है.. आदि, आदि.
यहां सवाल ये है कि आखिर समाज के इस हिस्से हाशिये पर किसने धकेला. कांग्रेस ने देश में चालीस सालों से ज्यादा समय तक देश में शासन किया. क्या इसे इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए.
2. मुसलमानों को अलग से आरक्षण दिया जा रहा है. क्यों, क्या भारतीय समाज के दूसरे वर्ग पिछड़े नहीं हैं. यदि है तो समग्र रूप से सबको आरक्षण के दायरे में क्यों नहीं लाया जाता. सबके कल्याण की बात क्यों नहीं की जाती.
3. मुसलमान बच्चों को अलग से छात्रवृति दी जा रही है और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में बिना शुल्क दाखिला दिया जा रहा है. हाल ही सुप्रीमकोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आंध्रप्रदेश में राज्य सरकार के इस प्रयास को मंजूरी दे दी है. हालांकि आखिरी फैसला आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट का ही मान्य होगा. वैसे कई राज्यों में पहले से ही ये सूत्र लागू है.
क्या इस देश में सिर्फ मुसलमान ही गरीब हैं, जो इस छात्रवृति के हकदार हैं. आखिरकार मुसलमानों को दी जाने वाली छात्रवृति का पैसा किस समुदाय का है.
4. मंगलवार(05 अगस्त 2008) को दिल्ली हाईकोर्ट के विशेष न्यायाधिकरण ने सिमी(इस्लामी छात्र संगठन) पर से प्रतिबंध हटा लेने का फैसला दिया. हालांकि दूसरे ही दिन सुप्रीमकोर्ट ने न्यायाधिकरण के फैसले पर रोक लगा दी. और सिमी पर प्रतिबंध जारी रखा.
न्यायाधिकरण का तर्क था कि सरकार ने जो सबूत पेश किए हैं वो अपर्याप्त हैं.
यहां सरकार की नालायकी ही दिखती है, बार-बार खुफिया विभाग सिमी पर अंगुलियां उठाती रही है और आतंकवादी गतिविधियों में सिमी के शामिल होने की बात कहती रही है, फिर भी सरकार कोर्ट में सबूत नहीं पेश सकी.
आखिर सरकार जो सुप्रीमकोर्ट के बार-बार के आदेश के बाद भी अफजल के मामले को लटकाए रखा है, उससे ये आशा कैसे की जा सकती है कि वो सिमी के खिलाफ सबूत कोर्ट में पेश करे.
जब गृहमंत्री ही उसकी पैरवी में जुटे हों और उसकी तुलना सरबजीत से कर रहे हो तो उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है.
5. सरकार कम्युनिष्टों के बार-बार के मांग के बावजूद ईपीएफ पर ब्याजदर बढाने के मु्द्दे पर टस से मस नहीं हुई, वही कम्युनिष्ट के हटते ही ब्याजदर बढ़ाने की बात कह रही है.
7. श्री अमरनाथजी श्राईन बोर्ड को दी गई जमीन के मुद्दे पर पिछले एक महीने से जम्मू जल रहा है. सरकार सो रही है. वोट बैंक की लालच में सरकार जम्मू-कश्मीर को देश से अलग माने हुए है, हालांकि हर साल उसे करोड़ों रुपये के अनुदान दिए जाते हैं. उसके लिए सेना पर करोड़ों पर खर्च किए जाते हैं.
इसी देश में सैंकड़ों हज हाउस है, हज टर्मिनल हैं. हजयात्रियों को सरकारी पैसे दिए जाते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में कुछ एकड़ जमीन श्राइन बोर्ड को दिए जाने के मुद्दे पर सरकार कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक देती है.
8. तस्लीमा नसरीन के मुद्दे पर सरकार मुट्ठीभर मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक देती है.
9. पिछले चार सालों में किसानों की आत्महत्या पर घड़ियाली आंसू बहानेवाली और किसानों के कल्याण के लिए कोई कदम नहीं उठाने वाली कांग्रेस की सरकार एकाएक कर्जमाफी के लिए करीब सत्तर हजार करोड़ रुपये के पैकेज को घोषणा कर जाती है.
10. सरकार देश के नब्वे मुस्लिम बहुल इलाकों की पहचान करती है. उसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये का पैकेज देती है. उन इलाकों में सरकारी बैकों की विशेष शाखाएं खोलने और मुसलमानों को दिलखोलकर कर्ज देने का आदेश देती है.
11. हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों का है.
12. सरकार मुस्लिम और अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल इलाकों की पहचान के लिए कलेक्टरों को गुप्त पत्र लिखती है और ताकि उन इलाकों में वोट बैंक पुख्ता करने के लिए कुछ किया जा सके.
13. सरकार वोट बैंक के लिए ओबीसी आरक्षण देकर समाज को तोड़ने का काम करती है.
14. कांग्रेस की सरकार ने ही शाहबानों मामले में सुप्रीमकोर्ट का फैसला पलटने के लिए नया कानून बना डाला. यानी वोट बैंक के लिए देश के कानून के साथ खिलवाड़ करेंगे.
15. शिक्षण संस्थानों में ओबीसी को आरक्षण मिलेगा. लेकिन अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में नहीं.
16. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मुसलमानों को पचास प्रतिशत आरक्षण देने की बात.
17. केंद्रीय गृहराज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कहते हैं कि किसी एक संप्रदाय को आतंकवादी कहनेवाला सबसे बड़ा आतंकवादी है. लेकिन आतंकवादी को किसी संप्रदाय का बताने वाले को क्या कहना चाहिए. देश में समान नागरिक संहिता लागू करने में क्यों परेशानी हो रही है.
18. हज पर विदेश जाने वाले को सब्सिडी क्यों दी जाती है और अमरनाथ यात्रियों को एक अस्थायी शिविर देने में भी उन्हें दर्द क्यों होता है.
19. उत्तरी राज्यों में हिंदी को द्वितीय राजभाषा बनाने और ऊर्दू शिक्षकों की बलात् नियुक्ति तुष्टिकरण नहीं तो और क्या है साब.
20. इफ्तार पार्टियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
21. देश के मदरसों में विशेष सुविधाएं दी जाती है. साथ ही कहा गया कि जिन मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा. उसे विशेष अनुदान दिया जाएगा. यानी राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भी रिश्वत.
22. पंद्रह प्रतिशत आबादी के लिए अल्पसंख्यक आयोग बनता है लेकिन पचासी प्रतिशत आबादी के लिए बहुसंख्यक आयोग क्यों नहीं बनाया जाता. आखिर देश को कब तक बांटोगे. कितने टुकड़े करोगे. क्या एक राष्ट्रीय विकास आयोग से काम नहीं चलेगा.
23. अब कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में भारत विरोधी तत्वों के प्रति नरमी बरती जा रही है. ऐसे तत्वों को जानबूझकर एक विशेष संप्रदाय से जोड़ा जाता है. ताकि उस संप्रदाय का वोट बैंक नहीं बिगड़े.
24. पोटा हटा दिया गया, लेकिन धारा- 370 क्यों नहीं हटाया जाता.
25. जिस मुस्लिम लीग ने भारत को बांटा, उसी मुस्लिम लीग के साथ कांग्रेस ने समझौता किया.
26. बांग्लादेशियों के मुद्दे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कहती हैं कि यहां आने वाले हमारे अतिथि होते हैं, क्या इसमें आतंकवादी भी शामिल हैं. केंद्रीय गृहमंत्री कहते हैं, ऐसे कैसे उन्हें भगा दीजिएगा, देश में कानून है वह अपना काम करेगा. जबकि सरकार ने ही राज्यों को चिट्ठी लिखकर बांग्लादेशियों को निशानदेही करने और उन्हें अलग करने के लिए कहा था.


कितना गिनाऊं, सत्ता सुख के लिए लालू और मुलायम जैसे आज एक चम्मचे से खा रहे हैं.
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