गोरखपुर। इस बार चौदह जनवरी को मकर-संक्रांति पर्व के साथ ही माघकृष्ण गणेश चतुर्थी भी है और दोनों पर्वो के इस अनूठे समागम को शुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पंडित परमानंद शास्त्री का मानना है कि जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है उसे संक्रांति कहा जाता है। 14 जनवरी को सूर्य का धन राशि से हटकर मकर राशि में प्रवेश होता है। इसी से इसको मकर संक्रांति कहा जाता है।
इस दिन से भगवान भुवन भास्कर का संचरण उत्तर की ओर होने लगता है। मकर संक्रांति से मिथुन राशि की संक्रांति तक के छ: महीने का काल उत्तरायण कहा जाता है और कर्क राशि से धनुराशि तक सूर्य के संचरण का काल दक्षिणायन है। इसमें सूर्य का दक्षिण की ओर संचरण होता है।
मकर संक्रांति ज्यादातर 14 जनवरी को ही पड़ती है। संयोगवश इसी दिन माघकृष्ण चतुर्थी भी है जो अनूठा संयोग है। यह श्री गणेश चौथ के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्री का मानना है कि इस दिन गणेश चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं चंद्रदेव को अर्घ्य प्रदान करती हैं। यह अपूर्व संयोग है। एक ही दिन दो महत्वपूर्ण पर्वो के समागम को शुभ माना गया है। मकर संक्रांति पर्व के महत्व को गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम चरित मानस में अभिव्यक्त किया है:
माघ मकरगत रबि जब होई।
तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
इस शास्त्रोक्ति के अनुसार गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर तीर्थराज प्रयाग में मकर संक्रांति के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान करने के लिए आते हैं। अत: प्रयागराज में मकर संक्रांति पर्व के दिन स्नान करना अत्यंत पुण्यों को एक साथ प्राप्त करना माना जाता है। मकर संक्रांति पर्व पर स्नान-दान का विशेष महत्व है।
इलाहाबाद [प्रयाग] में संगम पर मकर संक्रांतिकाल पर्यत प्रतिवर्ष एक मास तक माघ मेला लगता है जहां पर भक्त पौषपूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। यहां पर 12 वर्ष में कुंभ मेला तथा 6 वर्ष में अर्धकुंभ मेला लगता है। उत्तर भारत में गंगा-यमुना के किनारे बसे गांवों-नगरों में मेलों का आयोजन होता है। भारत में सबसे प्रसिद्ध मेला बंगाल में मकर संक्रांति पर्व पर गंगासागर में लगता है। इस मेले के लगने के पीछे पौराणिक कथा है कि मकर संक्रांति के ही दिन स्वर्ग से उतरकर गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिलमुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई।
गंगाजी के पावन जल से राजा सगर के साठ हजार श्रापग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था। इसी घटना की याद में यह तीर्थ गंगासागर नाम से प्रसिद्ध हुआ और प्रतिवर्ष 14 जनवरी को यहां पर मेले का आयोजन होता है। पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में यह पर्व लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू और उत्तरप्रदेश में खिचड़ी पर्व नाम से विख्यात है। इसीलिए इस दिन खिचड़ी खाने तथा खिचड़ी और तिल दान का विशेष महत्व है।