Monday, July 21, 2008

श्रावण का पहला सोमवार सर्वेश्वराय नीलकंठाय महादेवाय नमो नमः


श्रावण माह के पहले सोमवार पर श्रद्धालु उपवास रखकर विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। भोले भंडारी नीलकंठ भगवान महादेव की आराधना मंदिरों के साथ घर-घर में जारी है। शिवालयों में जहाँ दुग्धाभिषेक किए जा रहे हैं वहीं भोलेनाथ के भक्त घरों में पूजा-अर्चना करके भक्ति में लीन हैं।

श्रावण महीने में कई लोग पूरे माह तो कई लोग केवल सोमवार का व्रत करते हैं। मान्यता है कि श्रावण सोमवार का व्रत करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इस व्रत से महिलाओं का वैवाहिक जीवन दीर्घकालीन होता है, युवतियों को सुयोग्य वर प्राप्त होते हैं और पुरुषों को कार्यकुशलता व संपत्ति प्राप्त होती है।

शास्त्रों के अनुसार श्रावण माह में ही देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इससे चौदह रत्नों के साथ भयंकर विष भी बाहर आया था। भगवान शिव ने वह हलाहल पीकर संपूर्ण पृथ्वी को विपत्ति से बचाया। तभी से वे नीलकंठ कहलाए। हलाहल की पीड़ा शांत करने के लिए उन्होंने मस्तक पर अर्द्धचंद्र धारण किया। देवताओं ने उन्हें जल और दुग्ध अर्पण किया। इसीलिए इस माह में शिवलिंग पर दुग्ध और जल अर्पित करने की परंपरा है।

सातों दिनों के सात देवता हैं, इनमें से शिव के लिए सोमवार है। शास्त्रों में सोमवार को शिव की पूजा के संबंध में अलग-अलग कहानियाँ हैं। एक कथा के अनुसार एक बार शिव-पार्वती अमरावती नगर गए। वहाँ एक शिव मंदिर में वे विश्राम के लिए रुके। माता पार्वती ने शिवजी से पांसे का खेल खेलने को कहा। दोनों खेल रहे थे कि तभी मंदिर का पुजारी आ गया। शिव ने पुजारी से पूछा कि कौन जीतेगा।

पुजारी ने कहा कि शिव जीतेंगे, लेकिन अंत में माता पार्वती जीत गईं। इससे पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने पुजारी को श्राप दे दिया। वह गरीबी से घिर गया। कुछ दिनों बाद भगवान शिव साधु वेश में अमरावती पहुँचे और पुजारी को सोलह सोमवार का व्रत करने को कहा।

पुजारी ने वैसा ही किया और उसे पुनः उसकी खोई संपत्ति और यश मिल गया। जीवन में यश, सम्मान, ऐश्वर्य, संपत्ति, सुख प्राप्त करने के लिए श्रावण माह के सभी दिन खास होते हैं।




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